खींचो न कमानों को, न तलवार निकालो, जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो
अकबर इलाहाबादी का यह शेर पत्रकारिता पर बिल्कुल सटीक बैठता है. पत्रकारिता लोगों तक सच्चाई पहुंचाने और विभिन्न मुद्दों को लेकर उन्हें जागरूक करने का सशक्त माध्यम है. देश की आजादी की लड़ाई में भी पत्रकारों ने अहम भूमिका निभाई. आजादी की अलख जगाने में उस समय कई अखबारों ने संदेशवाहक का काम किया. यही वजह है कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है.
युवा पत्रकारिता
आज के युवाओं को निर्भीक होकर पत्रकारिता करनी चाहिए. उन्हें आदर्शों को स्थापित करने के लिए संघर्ष करना चाहिए. पत्रकारिता में स्वतंत्रता एक बड़ी चुनौती है. वैसे इस क्षेत्र में चुनौतियों का सिलसिला कोई नई बात नहीं है. कारपोरेटर एवं सरकारी दबाव के बीच नैतिक पत्रकारिता करना आज के परिवेश में बड़ी समस्या बनकर उभरी है, जिससे कई खबरें या तो दब जाती है या फिर कई खबरों को दबा दिया जाता है. ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि युवा पत्रकार निर्भीक हो कर स्वतंत्र पत्रकारिता करें. युवा पत्रकार अपनी कलम को बिकाऊ नहीं बनाएं. जाति, धर्म द्वेष पर आधारित पत्रकारिता अधिक समय तक नहीं चल पाती.