*अनुभव*
मैं 2020 में हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड अंतर्गत 12 किलोमीटर प्रखंड मुख्यालय से दूर पूरब दिशा में स्थित ग्राम महुगाईकला से दैनिक हिंदी अखबार "आज" से हजारीबाग के वरिष्ठ पत्रकार माननीय श्री कृष्णा गुप्ता के छत्रछाया में पत्रकारिता शुरू की और आज भी इसी बैनर के तले मेरी पत्रकारिता जारी है। जब मैं पत्रकारिता शुरू की थी उस समय मेरे पास ना साइकिल थी, ना गांव में बिजली थी, ना आवागमन का साधन। 2 किलोमीटर पैदल चलकर बस के माध्यम से प्रखंड मुख्यालय पहुंचना। दिन में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर रात में ढिबरी एवं लालटेन की रोशनी तले खबर लिखकर दूसरे दिन बस के माध्यम से हजारीबाग भेजना और हजारीबाग से रांची खबर जाना दो-तीन दिन के बाद खबर प्रकाशित होना उत्सुकता भरी पत्रकारिता का अनुभव प्राप्त है। हालांकि इस बीच सप्ताहिक हिंदी रजरप्पा टाइम्स, हिंदी दैनिक खबर मंत्र ,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ईटीवी बिहार झारखंड, ईटीवी भारत के साथ भी जुड़ कर पत्रकारिता करने का अनुभव प्राप्त हुआ। इतने लंबी दूरी तय करने के बीच ऐसे कई अखबार के बैनर का धौंस दिखाकर पत्रकारिता करते लोगों को देखा बावजूद उनसे एक इंच भी पीछे नहीं रहते हुए अपनी लेखनी के बदौलत पहली पंक्ति में आज भी निरंतर जारी है। इस बीच बैनर का धौंस दिखाने वाले लोगों को प्रबंधक द्वारा निकाल दिए जाने के बाद वैसे लोगों को पाक्षी एवं सप्ताहिक अखबार में भी नतमस्तक होते देखने का अनुभव प्राप्त हुआ है। वर्तमान समय में हाईटेक टेक्नोलॉजी से लैस आगे निकलने की होड़ एवं बेचैनी रहने के बावजूद भी लोगों में बौखलाहट देखने की अवसर प्राप्त हो रही है।
*संदेश*
अंत में कहना है कि चाहे जिस भी बैनर तले बिना लोभ लालच का यदि पत्रकारिता करने की जज्बा होगी जिस किसी भी बैनर में रहे अपनी लेखनी को धारदार बनाकर इमानदारी पूर्वक पत्रकारिता करना चाहिए ना कि बैनर का रौब दिखा कर बाद में नतमस्तक होने की स्थिति उत्पन्न करने की।